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प्रियतम को जो मेरे भाए,वही पहनना है। आँसू-हँसी-उद


प्रियतम को जो मेरे भाए,वही पहनना है।
आँसू-हँसी-उदासी मुख की,मेरा गहना है।।

मेरे दृग के आँसू देखे,उस दिन थे दुलराए।
अरी हो गई हो पागल क्या,अपने अंक लगाए।।
पति परमेश्वर के रहते क्यों,दृग में आँसू आए।
तुम्हे छोड़ अब दूर न जाना,इतना कह मुस्काए।।
तब से मैं आँसू से कहती,दृग में रहना है।
आँस-हँसी-उदासी मुख की,मेरा गहना है।।

उन्हे हँसी तो अतिशय प्रिय है,जैसे उषा सुहानी।
देखे हँसी दिए संबोधन,उषा दिवस की दानी।।
तुमसे ही जीवन के दिन हैं,तुमसे मिला सबेरा।
इसी हँसी के बदले में तो,हुआ तुम्हारा चेरा।।
तुम्हे छोड़ अब दूर न जाना,उनका कहना है।
आँसू-हँसी-उदासी मुख की,मेरा गहना है।।

उन्हे उदासी मेरी खलती;लगती दुखद कहानी।
जीवन के  हर उद्यम करते,अद्भुत  प्रेम निशानी।।
सीमा पर कार्यालय अथवा,खेत-बाग-वन होते।
आँगन से हो दूर उदासी,जीवन साधन बोते।।
कर्तव्य बोध जो जागृत कर दे,प्रतिपल सहना है।
आँसू-हँसी-उदासी मुख की,मेरा गहना है।।

©कमलेश मिश्र
  वही मेरा गहना......

वही मेरा गहना...... #कविता

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