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kcmishra4268
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कमलेश मिश्र

कविताएं और शायरी

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कमलेश मिश्र


गणेश चतुर्थी पर विशेष 

शीश झुका स्वीकारिए,वंदन गणपति नाथ।
क्यों अनाथ जग बोलता,प्रथम नाथ जब साथ।।

माता अवगाहन गयीं,द्वारे बैठे आप।
रहे सुरक्षा कवच बन,देखे जगत प्रताप।।

शिव मिलने को आ गए,मिला द्वार जब बंद।
नहीं मार्ग जब मिल सका,कड़ा हो गया द्वंद।।

हार-जीत होती नहीं,घना हो गया युद्ध। 
पिता-पुत्र जब लड़ रहे,शाँति हुई अवरुद्ध।।

अधिक क्रुद्ध शिव हो गए,काटे शीश सुवेश।
माँ के हस्तक्षेप से,पूरित रूप गणेश।।

हुए सिद्ध से सिद्ध श्री,प्रथम पूज्य श्रीमान।
सिद्ध सकल कारज करें,करे प्रथम जो गान।।

रही चतुर्थी भाद्र पद,शुक्ल पक्ष जो आज।
अशुभ चंद्र दर्शन हुआ,शुभ प्रद श्री गणराज।।

नमन गजानन कीजिए,रक्षक बनकर द्वार।
सर्व काल रक्षा करें,वंदन बारम्बार।।

लम्बोदर मोदक गहें,दुर्वादल है साथ।
हल्दी-कुंकुम तिलक लें,पद में नाऊँ माथ।।

ऋद्धि-सिद्धि हों साथ में,साथ रहें शुभ-लाभ।
मंगलमय जीवन रहे,संपूरित अमिताभ।

राम रमें इस लेखनी,भक्ति हृदय के बीच।
तनिक नहीं अवरोध दें,वक्र ग्रही जो नीच।।

©कमलेश मिश्र
  #GaneshChaturthi
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कमलेश मिश्र

 हाले दिल.....

हाले दिल..... #शायरी #nojotophoto

15 Love

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कमलेश मिश्र



हमें आज भी याद है बचपन के वो दिन जब रोज रविवार को सुबह नौ बजे रामायण धारावाहिक के रूप में दूरदर्शन पर प्रसारित होता था, जिसका बड़े बेसब्री से हम सब इंतजार करते थे, और फिर सभी परिवार, पडोसी एक साथ बैठ कर रामायण देखा करते थे, बुजुर्गों में इतनी श्रद्धा थी की वे हाथ जोड़कर राम  के रूप में अरूण गोविल और दीपिका सीता जी को प्रणाम करते हुए, पुरे समय टकटकी लगाए देखते थे। 
रामायण का हर एक पात्र के चरित्र से अनमोल सीख मिलती है, 
सीता सुकुमारी का पति के संग वन में भी संतुष्ट और सुखमय जीवन तो उर्मिला और लखन जी का त्याग, कितना कठिन था चौदह वर्ष उर्मिला का प्रतिरक्षारत  रूप, तो भरत का ज्येष्ठ भ्राता के लिए आदर व स्नेह श्री राम के चरणपादुका को सिहांसन पर धार कर स्वयं तपस्वी वेष में राज्य के बाहर पर्णकुटी में रह कर श्री राम के आदेश का अनुपालन करना। 
  स्वयं श्री राम और माता सीता ने लाख दुख सहे मगर कभी किसी को दोष नहीं दिया, श्री राम का चरित्र एक आदर्श राजा के रूप में, जनता के मापदंड पर खरे रहने के लिए, एक राजा ने स्वयं को भी सजा दी, सीता को त्याग कर राम कहाँ खुश रह पाए। आज के परिवेश में एक राजा का राम सा चरित्र कहाँ संभव है, 
कम शब्दों में बस यही कहना चाहूंगी रामायण केवल एक नाटक नहीं अपितु जीवन मूल्यों की खान है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती है।

©कमलेश मिश्र
  पुरानी यादें..

पुरानी यादें.. #विचार

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कमलेश मिश्र

पैसा इस संसार में लगता है अनमोल,
पर इसका मूल्य है क्या देखे रंग टटोल,
देख ढांचे टटोल नीति के रीति विचारे,
अपनी आंखें खोल सराहें और निहारें......

©कमलेश मिश्र .......

13 Love

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कमलेश मिश्र

"हिन्दी दिवस "---
निजभाषा से पहले घर को सजाएं।
हिन्दी का तब जाके उत्सव मनाएं॥

इंग्लिश  किसी  का  मुकद्दर  नहीं  है। 
जीत ले जो जहां को सिकन्दर नहीं है॥
मातृ की बोल में आओ मुस्कान लाएं।
हिन्दी  का  तब  जाके उत्सव  मनाएं॥

हृदय के तंत्र में माँ बसी हर घड़ी। 
वेदना में मेरे साथ रहे  जो खड़ी ॥
माँ के आँचल में अपनी पहचान पायें।
हिन्दी  का  तब  जाके  उत्सव  मनाएं॥

जन्मदात्री पर अपना अभिमान हो । 
बोल के शब्द में जिसका सम्मान हो॥
मातृभाषा का गुणगान सर्वत्र गाएं।
हिन्दी का तब जाके उत्सव मनाएं ॥

©कमलेश मिश्र
  .....

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कमलेश मिश्र

*हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.......*

हिन्द  देश  की शान  है  हिंदी।
हम सबका अभिमान है हिंदी।।

शव्दकोष   मधुरव  से  पूरित,
सोम  अर्घ  की  धार है  हिंदी।

सिंचित  है  यह व्यापकता से,
बोध  गम्य  उद्गार   है    हिंदी।

इन्द्रधनुष  सी  दिप्तिमान  है,
भावों   का  संचार   है  हिंदी।

रोम  रोम   में   बसने   वाली,
जनगणमन का प्यार है हिंदी।

अधरों  की मुस्कान  है  हिंदी,
हम सबकाअभिमान है हिंदी।।

©कमलेश मिश्र
  हिंदी दिवस 😍😍

हिंदी दिवस 😍😍 #कविता

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कमलेश मिश्र

 ll
                      💥🙋🏻‍♀️💥                                      
💎🌹🌹👉हिन्दी👈🌹🌹💎
   हिन्दी के बिन्दी लगे, बढ़े मान-सम्मान l
   देश देश ये राजती, है हिन्दी अभिमान ll
   है हिन्दी अभिमान, हिन्दी से हो शिक्षा l
   गायें हिन्दी गीत, हो हिन्दी संग परीक्षा ll
   दृढ़ उमेश संकल्प, न हिन्दी की चिन्दी l
   भाषाओं में अग्रणी, यही हमारी हिन्दी ll
                   👉💎👈
🌺👉हिन्दी के आदेश अंग्रेजी में👈🌺
                          व्यंग
बात ये कल प्रात की, मिला एक सन्देश l
हिन्दी के उत्थान हित, पत्र में थे आदेश ll
पत्र में थे आदेश, हिन्दी संग सेवा करिये l
हिन्दी ही सर्वश्रेष्ठ, यही निज मन धरिये ll
अब उमेश ये आश्चर्य, जागते गुजरी रात l
थे आदेश अंग्रेजी में, हिन्दी की थी बात ll
                    🌺💎🌺

©कमलेश मिश्र
  हिंदी की कुछ बातें 😍😍

हिंदी की कुछ बातें 😍😍 #कविता

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कमलेश मिश्र


चाहें जो निभाना हो, बिगड़ रिश्ता नहीं सकता l 
हो मन चाह दोनों की, बदल रस्ता नहीं सकता ll 
विलग होते तभी रिश्ते, जो आता बीच में कोई l 
हो जो सोच मिलने की, न कोई रोक है सकता ll 
         👉🌹👈

©कमलेश मिश्र
  ......

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कमलेश मिश्र

🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
भारत में गाँव है, गली है, चौबारा है ।
इण्डिया में सिटी है, मॉल है, पंचतारा है ।।

भारत में घर है, चबूतरा है, दालान है ।
इण्डिया में फ्लेट है, मकान है ।।

भारत में काका है, बाबा है, दादा है, दादी है ।
इण्डिया में अंकल-आंटी की आबादी है ।।

भारत में खजूर है, जामुन है, आम है ।
इण्डिया में मेगी है, पिज्जा है, छलकते जाम है।।

भारत में मटके है, दोने है, पत्तल है।
इण्डिया में पोलिथीन, प्लास्टिक, बाटल है।।

भारत में गाय है, घी है, मक्खन है, कंडे है।
इण्डिया में चिकन है बिरयानी है अंडे है।।

भारत में दूध है, दहीं है, लस्सी है ।
इण्डिया में विस्की, कोक, पेप्सी है ।।

भारत में रसोई है,आँगन है, तुलसी है ।
इण्डिया में रूम है, कमोड की कुर्सी है ।।

भारत में कथड़ी है, खटिया है, खर्राटे है ।
इण्डिया में बेड है, डनलप है, करवटें है ।।

भारत में मंदिर है, मंडप है, पंडाल है ।
इण्डिया में पब है, डिस्को है, हाल है ।।

भारत में गीत है, संगीत है, ताल है ।
इण्डिया में डांस है, पॉप है, आइटम है ।।

भारत में बुआ है, मोसी है, बहन है ।
इण्डिया में सब कजिन है ।।

भारत में पीपल है, बरगद है, नीम है ।
इण्डिया में मनी प्लांट है ।।

भारत में आदर है, प्रेम है, सत्कार है ।
इण्डिया में स्वार्थ है, नफरत है, दुत्कार है ।।

भारत में हजारों भाषा है, बोली है ।
इण्डिया में एक अंग्रेजी बड़बोली है ।।

भारत सीधा है, सहज है, सरल है ।
इण्डिया धूर्त है, चालाक है, कुटिल है ।।

भारत में संतोष है, सुख है, चैन है ।
इण्डिया बदहवास, दुखी, बेचैन है ।।

क्योंकि ....
भारत को देवों ने, संतों ने, वीरों रचा है ।
इण्डिया को लालची अंग्रेजों ने बसाया है ।।

मैं भारत हूँ, भारत में रहना चाहता हूँ ।
अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी, 
भारत ही देना चाहता हूँ।।

🇮🇳  🇮🇳  🇮🇳  🇮🇳. 🇮🇳

©कमलेश मिश्र
  भारत बनाम India

भारत बनाम India #कविता

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कमलेश मिश्र



भारत-भरत भूमि यह जागे,सत्य-सनातन जागे।
कौन भला टिक सकता स्वामी,कालयवन के आगे।।
स्वीकारे रणछोर नाम जो,पद रज मीरा चाहे।
आज सकल यह राष्ट्र चाहता,कृष्ण सलिल अवगाहे।।
बहुत विवश हो अनय राष्ट्र ने,निज सिर पर रख ढोई।
इतना कहकर फफक-फफक कर,मीराबाई रोई।।

©कमलेश मिश्र
  .......

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