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गांव की जिंदगी उठकर बैठ सवेरा हो गया है, निकला सू

गांव की जिंदगी

उठकर बैठ सवेरा हो गया है,
निकला सूरज,अंधेरा सो गया है।

चहकाते हुए पंछी शोर कर रहे हैं,
खाने चारा पशु देख अपने मालिक की ओर रहे हैं।

किसान भी ले खुरपी, अपने खेत को चला,
आ गया मदारी ले डमरू दिखाने अपनी कला।

मजदूर लिए तसला, फावड़ा अपने काम पर जा रहे हैं,
बच्चे लगा गुट अपने दोस्तों के साथ,उधम मचा रहे हैं।

मां आई है लेकर गोबर व मिट्टी घर लीपने को,
बापू गया बाजार, भैंस का दूध वो धो गया है।

उठकर बैठ सवेरा हो गया है,
निकला सूरज,अंधेरा सो गया है।

©Ravindra Singh
  गांव की जिंदगी...

गांव की जिंदगी... #Quotes

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