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मजबूरियों के हाथों, मजबूर हो गया हूँ। तन्हाईयों से

मजबूरियों के हाथों, मजबूर हो गया हूँ।
तन्हाईयों से लड़कर, मैं चूर हो गया हूँ।।
साथी मिले हैं इतने, एक भीड़ बन गई है।
इस भीड़ के हाथों, खुद से दूर हो गया हूँ।।

©Shubham Bhardwaj
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