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झूठी कामयाबी का ढोल """"""""" ये बताओ काली पटरी ला

झूठी कामयाबी का ढोल
"""""""""
ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
ज़िंदगी मजदूरों की क्यों मौत का मंज़र हुई है
ढोल झूठी कामयाबी का बजाना बाद में तुम

तुम कहो क्यों लोग अपने घर को पैदल ही चले थे
क्या तुम्हारे दावे सारे सच नहीं थे चुटकुले थे
तुम बताओ ज़िंदगी क्यों मौत से बद्तर हुई है
ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
ढोल झूठी कामयाबी का बजाना बाद में तुम

चुगलियाँ करतीं रहेंगी रोटियाँ पटरी पे हैं जो
पूछेंगी पापा कहाँ हैं बेटियाँ गोदी में हैं जो
जो थी सधवा पल में विधवा माँग को धोकर हुई है
ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
जो नया जुमला गढ़ा है वो सुनाना बाद में तुम

गोद में बच्चा पड़ा है,बीवी रोती जा रही है
जो चले थे घर को उनकी लाश घर पर आ रही है
जड़ व्यवस्था पहले से थी,अब तो यह  जर्जर हुई है
ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
सीना छप्पन-इंच का अपना फुलाना बाद में तुम

क्या कहोगे उस नज़र को बाट जोहे जो खड़ी है
क्या कहोगे माँ से बोलो खाट से जो गिर पड़ी है
तुमने की नोटों की बारिश पर कहो किसपर  हुई है
ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
बात मन की दम्भ से भरकर सुनाना बाद में तुम

ढोल झूठी कामयाबी का....

©गुमनाम गौतम झूठी कामयाबी का ढोल
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ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
ज़िंदगी मजदूरों की क्यों मौत का मंज़र हुई है
ढोल झूठी कामयाबी का बजाना बाद में तुम

तुम कहो क्यों लोग अपने घर को पैदल ही चले थे
क्या तुम्हारे दावे सारे सच नहीं थे चुटकुले थे
झूठी कामयाबी का ढोल
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ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
ज़िंदगी मजदूरों की क्यों मौत का मंज़र हुई है
ढोल झूठी कामयाबी का बजाना बाद में तुम

तुम कहो क्यों लोग अपने घर को पैदल ही चले थे
क्या तुम्हारे दावे सारे सच नहीं थे चुटकुले थे
तुम बताओ ज़िंदगी क्यों मौत से बद्तर हुई है
ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
ढोल झूठी कामयाबी का बजाना बाद में तुम

चुगलियाँ करतीं रहेंगी रोटियाँ पटरी पे हैं जो
पूछेंगी पापा कहाँ हैं बेटियाँ गोदी में हैं जो
जो थी सधवा पल में विधवा माँग को धोकर हुई है
ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
जो नया जुमला गढ़ा है वो सुनाना बाद में तुम

गोद में बच्चा पड़ा है,बीवी रोती जा रही है
जो चले थे घर को उनकी लाश घर पर आ रही है
जड़ व्यवस्था पहले से थी,अब तो यह  जर्जर हुई है
ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
सीना छप्पन-इंच का अपना फुलाना बाद में तुम

क्या कहोगे उस नज़र को बाट जोहे जो खड़ी है
क्या कहोगे माँ से बोलो खाट से जो गिर पड़ी है
तुमने की नोटों की बारिश पर कहो किसपर  हुई है
ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
बात मन की दम्भ से भरकर सुनाना बाद में तुम

ढोल झूठी कामयाबी का....

©गुमनाम गौतम झूठी कामयाबी का ढोल
"""""""""
ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
ज़िंदगी मजदूरों की क्यों मौत का मंज़र हुई है
ढोल झूठी कामयाबी का बजाना बाद में तुम

तुम कहो क्यों लोग अपने घर को पैदल ही चले थे
क्या तुम्हारे दावे सारे सच नहीं थे चुटकुले थे
ghumnamgautam7091

Ghumnam Gautam

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