हसरतें पूरी नहीं होती, मन उद्वेलित होता जाता है, दिल और दिमाग पर, चाहतों का सुरूर छा जाता है। कैसे संभालूँ अपने, इस बढ़ते हृदय की वेदना को, सोचता रहता हूँ क्या, और जानें क्या हो जाता है। आखिर मैं भी एक इंसान हूँ, मेरे भी कुछ हसरतें हैं, पूरी होने से पहले ही, जानें क्यों फना हो जाता है। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-102 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।