*कौशल्या* कभी कैद था तुझमें,फिर भी आजाद था, उस प्यारे से आशियाने में हुआ मेरा आगाज था। तेरी हर सांस से मेरी हर सांस जुड़ी थी ममता और प्यार की वह पहली कड़ी थी। छिपा खुद के दर्द को तू मुस्कुरा रही थी छोड़ सब ख्वाहिशें तू मुझको सजा रही थी। वजूद है तुझसे मेरा, तुम मुझे इस जहां में लाई है जड़ें मेरी तुझमें है तू ही मेरी परछाईं है महकते मीठे पलों की तलाश में, अब भी वैसे ही फुसला रही हो अपनी जागी आंखों से मेरी रातों को उजला रही हो। हमें तराशने में क्या कुछ नहीं खोया तुमने उत्तम संस्कारों को इस माटी में "कौशल्या" बोया तुमने। उस मां पर क्या लिखूं जिसने खुद मुझे लिखा है सरस्वती का वास है तुझमें,तुमने ही तो सींचा है। शब्द होते हुए भी शब्दों का अभाव पा रहा हूं, तुम्हारे ही आशीर्वाद से आज कलम चला रहा हूं। 🙏🙏 ©Pravin Kumar Sinha #कौशल्या#मदर्स डे# #PARENTS