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कोई इक लफ्ज़ भी नहीं कहता है, और कोई बातों ही बात

कोई इक लफ्ज़ भी नहीं कहता है, 
और कोई बातों ही बातों में सब कह जाता है। 
कोई रिश्तों की बंदिशो में बांधता है,
और कोई खुले आसमां में साथ,
उड़ जाने को कहता है। 
फर्क दोनों की बातों में बहुत है, 
इक रिश्तों में बँधकर रहने की बात करता है,
तो दूसरा रिश्तों को साथ लेकर आगे,
बढ़ते रहने की बात करता है।  #कोई #कुछनहीं #कहता
कोई इक लफ्ज़ भी नहीं कहता है, 
और कोई बातों ही बातों में सब कह जाता है। 
कोई रिश्तों की बंदिशो में बांधता है,
और कोई खुले आसमां में साथ,
उड़ जाने को कहता है। 
फर्क दोनों की बातों में बहुत है, 
इक रिश्तों में बँधकर रहने की बात करता है,
तो दूसरा रिश्तों को साथ लेकर आगे,
बढ़ते रहने की बात करता है।  #कोई #कुछनहीं #कहता