रिश्ते वो नहीं जो खून से जुड़े हों। रिश्ते वो नहीं जो बंधन से जुड़े हों। रिश्ते वो भी नहीं जो मजबूरियों से जुड़े हों। और वो तो कतई नहीं जो स्वार्थ से जुड़े हों। रिश्ते तो वो हैं जो एहसास से जुड़े हों। रिश्ते तो वो हैं जो विश्वास से जुड़े हों। रिश्ते तो वो हैं जो समर्पण से जुड़े हो। रिश्ते वो हैं जो प्यार और परवाह से जुड़े हों। रिश्ते की पवित्रता खून और बंधन में नहीं, स्वार्थ में नहीं, बल्कि एहसासों में बसती है। जहां ना कोई चाहत होती है ना ही कोई लोभ। अगर कुछ होता है तो एक दूसरे के प्रति निश्चल प्रेम, अगाध श्रद्धा,समर्पण और फिक्र। अरुण शुक्ल अर्जुन प्रयागराज #Rishte Sudha Tripathi