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मैं तुम्हें याद नहीं करता बस तुम मुझे अपने आप ही य

मैं तुम्हें याद नहीं करता
बस तुम मुझे अपने आप ही याद आ जातीं हो
वैसे भी याद उन्हे किया जाता हैं
जिनको हम दिल से निकाल दिया करतें हैं
तुम्हें कैसे भुल पाऊं मैं तुम तो मेरी रूह में ही बसतीं हो
हर सुबह उठकर देखुँ जब मैं अपनी हथेली
तो तुम ही उन हाथो कि लकीरों में मुस्कुरातीं हो
लिखुँ कागज़ पे जब भी मैं कुछ अहसास अपने
तो तुम ही उन अल्फ़ाजो में समा जातीं हो
कभी अनजान ड़गर पे ऐसे ही पलकें मूंदे मैं जरा सोचू कुछ
तो उस समय भी तुम ख़यालों में आ ही जातीं हो
तन्हाई में मेरे जब युँ ही अकेले रोते हैं आज भी दर्द मेरे
तो तुम ही आकर गले लगाती हो
हकीकत मे कही नहीं हो तुम मेरे इर्द-गिर्द कहीं पे
इस सच का भी तुम खुद-ब-खुद अहसास मुझे कराती हो
मैं तुम्हें याद नहीं करता
बस तुम मुझे अपने आप ही याद आ जातीं हो....
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मैं_और_मेरी_तन्हाई
मैं तुम्हें याद नहीं करता
बस तुम मुझे अपने आप ही याद आ जातीं हो
वैसे भी याद उन्हे किया जाता हैं
जिनको हम दिल से निकाल दिया करतें हैं
तुम्हें कैसे भुल पाऊं मैं तुम तो मेरी रूह में ही बसतीं हो
हर सुबह उठकर देखुँ जब मैं अपनी हथेली
तो तुम ही उन हाथो कि लकीरों में मुस्कुरातीं हो
लिखुँ कागज़ पे जब भी मैं कुछ अहसास अपने
तो तुम ही उन अल्फ़ाजो में समा जातीं हो
कभी अनजान ड़गर पे ऐसे ही पलकें मूंदे मैं जरा सोचू कुछ
तो उस समय भी तुम ख़यालों में आ ही जातीं हो
तन्हाई में मेरे जब युँ ही अकेले रोते हैं आज भी दर्द मेरे
तो तुम ही आकर गले लगाती हो
हकीकत मे कही नहीं हो तुम मेरे इर्द-गिर्द कहीं पे
इस सच का भी तुम खुद-ब-खुद अहसास मुझे कराती हो
मैं तुम्हें याद नहीं करता
बस तुम मुझे अपने आप ही याद आ जातीं हो....
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मैं_और_मेरी_तन्हाई