बस तुम हो और परछाई तुम्हारी, फिर भी जीना पड़ता है जीना पड़ता है, हर हाल में जीना पड़ता है हालत चाहे जैसे हों संघर्ष करना पड़ता है जब तक साया सर पर मात पिता का, कोई खौफ नहीं हालातों का गर्दिश में सितारे कितने भी हों,ये रिश्ता है जज्बातों का कोई खता भी हम से हो जाए, ये साया ढाल बन जाता है माना होती घबराहट थोड़ी, फिर भी मन बेफिक्र हो जाता है सदा सुरक्षित होते हम,जब आशीर्वाद उनका रहता है जीना पड़ता है, हर हाल में जीना पड़ता है फिर होता प्रहार बक्त का ऐसा, ह्रदय टूट जाता है काल खंड ऐसा भी आता, सब सपने तोड़ जाता हैं कुटुंब भरा कितना भी हो,मझधार में छोड़ जाता है बस तुम हो और परछाई तुम्हारी, फिर भी जीना पड़ता है जीना पड़ता है, हर हाल में जीना पड़ता है..... ©पूर्वार्थ #जीनाहै