Nojoto: Largest Storytelling Platform

,,,,,मेंरी कविता,,,, में अपने हाथों से तुम्हें तै

,,,,,मेंरी कविता,,,,

में अपने हाथों से तुम्हें तैयार करना चाहता हूं ।
और चाहता हूं कि कोई कसर बांकी ना रहे ।
कयी बार हर शब्द बदल के भी में देख चुका ।
में मेरी कल्पना तुम मे डूब जाना चाहता हूं ।
और सोचता हूं कि जब भी कोई तुम से मिले।
लगे उसे युं कि मैं खुद मिल चुका हूं उसे ।
कयी बार लुत्फ ले चुका खुद पड़ के तुम्हें ।
अब तुम्हें किसी और के होंठों से सुनना चाहता
 हूं।

जिसे मिलाना अभी बाकी है ज़माने से
,,,,,वो खूबसूरत रचना हो तुम,,,,

©Vickram
  मरी *कविता* हो *तुम,,######@@@@@@@
vickram4195

Vickram

Silver Star
New Creator

मरी *कविता* हो *तुम,,######@@@@@@@

206 Views