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गर्म हवाओं से पतझड़ आने की है आशंका लेकिन धीरज ना

गर्म हवाओं से 
पतझड़ आने की है आशंका
लेकिन धीरज ना खोवो इससे ,
क्योंकि हर पतझड़ के बाद बारी है बसन्त का
शोख हवाओं के झोकें से 
मौसम गुलज़ार होगा जरूर वतन  का। 

मुद्दे हैं मंहगाई 
दम तोड़ती गरीब, किसान  की जिंदगी 
दम तोड़ती शिक्षा की स्थिति 
दम तोड़ती ब्यापारिक स्थिति 
दम तोड़ती रोजगार की स्थिति  
लबों की तालाबंदी 
इत्यादि ,इत्यादि। 

लेकिन लगता है
नहीं उनका जोर इनपर 
जोर है 
मन्दिर और मस्जिद पर 
इत्यादि,इत्यादि। 

वतन कोई  खिलौना नहीं 
जो  दो लब्जों की है मोहताज
वतन एक परिकल्पना है 
लोगों के लिये एक वन्दना है 
मत करो वतन को इतना छोटा आज।

एक कहावत सुनी थी
लगती है मुझको बड़ी आला
भूखे पेट ना हो भजन गोपाला
इसलिये छोड़ दो  सब गड़बड़ झाला 
समावेशी विकास का दो नारा 
देश को बनाओ जगत में  आला।

©vs dixit
  #देश