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क्या पहचाना नहीं तुमने... इन लकीरों के घेरे ? द

क्या पहचाना नहीं तुमने... 
इन लकीरों के घेरे  ? 
देखो...इन हाथों को मेरे 
हैं जो एक दूजे पर अड़े ,
आज पड़े हैं बड़े बेजान से  
क्या दिखते नहीं कुछ निशान गहरे..? 
जो कभी हरकतों से अपने 
पास ले आते थे तुम्हें , 
जाने किन खयालों में खोये
बैठ गए हो हाँथ पर हाथ धरे ।

©Deepali Singh
  #haathonKeGhere