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परछाई जब मुझे मेरी तन्हाई डसती है तब याद आती है ए

परछाई 
जब मुझे मेरी तन्हाई डसती है
तब याद आती है एक एहसास 
एक लड़की जो हमेशा हँसती है 
और थी सदा हर वक़्त मेरे पास 

मेरा पीछा नहीं छोड़ती थी वो 
करती थी बेहद प्यार मुझसे 
हटके अदाएं वाली मंचली थी वो 
करता था मैं भी बहुत प्यार उस से 

सवेरे सवेरे बहुत तंग करती थी 
रात को उलझा देती मुझे उसकी बातों में 
काम के बीच बीच में मुझे बुलाती थी 
गुस्से में आकर उसे छोड़ दी मैं 

अब चाहे जो भी नया रिश्ता मेले मुझे 
करने लगा हूँ महसूस मैं हमेशा तन्हाई 
याद आने लगा वो प्यारी सी अदाएं मुझे 
वो मेरी मंचली, मेरी अपनी परछाई!

©Krishnan
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krishnanm2736

Krishnan

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