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दोराहा दर्द-ओ-ग़म के दोराहेपर वो मुझको तड़पता छोड़

दोराहा
दर्द-ओ-ग़म के दोराहेपर वो मुझको तड़पता छोड़ चले...
क्यों बीच सफर मेरे हमदम किसी ग़ैर से नाता जोड़ चले...

हाथों में था उनका हाथ कभी सुख और दुख में था साथ कभी 
सुख और दुख में था साथ कभी
जाने ये घड़ी क्यों आई है अब मैं उनकी मंज़िल ही नहीं
जाने क्या ख़ता कर बैठा मैं किस बात पे वो मुँह मोड़ चले
दर्द-ओ-ग़म के दोराहे पर...

किस्मत को भी था मंजूर यही शायद उनका न कसूर कोई
शायद उनका न कसूर कोई 
उनके भी तो सीने में दिल है चुन ली है जो उसने राह नई
अंजाम वो मेरा बिन सोचे शीशे का ये सामाँ तोड़ चले
दर्द-ओ-ग़म के दोराहे पर...
 #NojotoQuote दोराहा
दोराहा
दर्द-ओ-ग़म के दोराहेपर वो मुझको तड़पता छोड़ चले...
क्यों बीच सफर मेरे हमदम किसी ग़ैर से नाता जोड़ चले...

हाथों में था उनका हाथ कभी सुख और दुख में था साथ कभी 
सुख और दुख में था साथ कभी
जाने ये घड़ी क्यों आई है अब मैं उनकी मंज़िल ही नहीं
जाने क्या ख़ता कर बैठा मैं किस बात पे वो मुँह मोड़ चले
दर्द-ओ-ग़म के दोराहे पर...

किस्मत को भी था मंजूर यही शायद उनका न कसूर कोई
शायद उनका न कसूर कोई 
उनके भी तो सीने में दिल है चुन ली है जो उसने राह नई
अंजाम वो मेरा बिन सोचे शीशे का ये सामाँ तोड़ चले
दर्द-ओ-ग़म के दोराहे पर...
 #NojotoQuote दोराहा
odysseus9022

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