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डगर कठिन है मंजिल ढूंढ़ने चला हूं, अपने हौसलों स

डगर कठिन है
मंजिल ढूंढ़ने चला हूं,

 अपने हौसलों से
मुस्किलों को आसान करने चला हूं।

ठोकरें खाकर संभलने चला हूं,
कांटों को फूलों में बदलने चला हूं।

मन को शांत करने चला हूं,
अंधेरे में उजाला ढूंढने चला हूं।

भंवरे सा मदमस्त हो चला हूं,
खुशबू  पत्थरों में भी ढूंढने चला हूं।

डर को मन से निकालने चला हूं,
अपने कदमों से दूरी मापने चला हूं।

©Shishpal Chauhan
  #कठिन डगर