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ना जाने ये राहे, किस मंजिल तक ले जायेगी, मंजिल का

ना जाने ये राहे, किस मंजिल तक ले जायेगी,
मंजिल का पता नही, पर राहों में ही मैं खो गई।
इन राहों में सुख- दुःख, आसूं- सुकून ,
अपने- परायों में मैं ऐसी उलझ गई 
की अब मंज़िल की चाह ना रही ,राहों को ही मंजिल समझ रही।

©Naina Nagpal

©Naina Nagpal
  #राहे 
#मंजिल