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सूर्योदय एवं सूर्यास्त की परिकल्पना करते-करते हम भ

सूर्योदय एवं सूर्यास्त
की परिकल्पना
करते-करते
हम भूल जाते हैं
यथार्थ को!
क्योंकि हम समझते हैं
जो दिख रहा है
वही सत्य है!
परंतु,
इस चलचित्र के,

प्रमाणन हेतु,
जलाना पड़ता है,

ज्ञान का दीपक!
अन्यथा रह जाते हैं,
सत्य से कोसो दूर,
और फस जाते हैं,
निर्माता के जाल में !

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  #सत्य की पहचान

#सत्य की पहचान #कविता

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