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दाना देकर मुझे बुलाते फुदक फुदक कर आती थी ची ची कर

दाना देकर मुझे बुलाते
फुदक फुदक कर आती थी
ची ची करती घर आंगन में
चुग चुग करके खाती थी

आज नहीं है वैसी दुनिया
कोई नहीं बुलाता है
नही है मिलता दाना पानी
रखता कोई न नाता है

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  #gauraiya #Hindi #kavita