चले जाओ कि तुम्हारी बातें चुभ रही मुझको तुम्हारी यादें चुभ रही मुझको ये इतनी बेचैनी क्यों है मेरी तबीयत में जैसे की जिंदगी हार के मैं लौटी हूँ।।