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गालियों में कुत्तों की महफिलें रोज सज रही थी, बहुत

गालियों में कुत्तों की महफिलें रोज सज रही थी,
बहुत बड़ी संख्या में कुत्तों की भीड़ दिख रही थी।

कुत्ता, दिन भर काव्य-गोष्ठियों का आयोजन करा रहा था,
बाहर की गलियों से कुत्तों को निरंतर बुला रहा था।

गली में कुत्तों के बैठने की जगह नहीं थी परन्तु,
जबरदस्ती पकड़-पकड़ कर बिठाया जा रहा था। 

कवि सम्मेलन का माहौल बनाया जा रहा था,
विरोधी कुत्तों को जबरदस्ती काव्य सुनाया जा रहा था।
                                        ---------आनन्द कुमार

©आनन्द कुमार #एक_कुत्ते_ने_कवि_को_काट_लिया,
#आनन्द_गाजियाबादी 
#Anand_Ghaziabadi 
#Kabi 
#kutta
#कवि
गालियों में कुत्तों की महफिलें रोज सज रही थी,
बहुत बड़ी संख्या में कुत्तों की भीड़ दिख रही थी।

कुत्ता, दिन भर काव्य-गोष्ठियों का आयोजन करा रहा था,
बाहर की गलियों से कुत्तों को निरंतर बुला रहा था।

गली में कुत्तों के बैठने की जगह नहीं थी परन्तु,
जबरदस्ती पकड़-पकड़ कर बिठाया जा रहा था। 

कवि सम्मेलन का माहौल बनाया जा रहा था,
विरोधी कुत्तों को जबरदस्ती काव्य सुनाया जा रहा था।
                                        ---------आनन्द कुमार

©आनन्द कुमार #एक_कुत्ते_ने_कवि_को_काट_लिया,
#आनन्द_गाजियाबादी 
#Anand_Ghaziabadi 
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