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गर्जनाएँ हो रही आकाश में, सृजन का आवेग है मध

गर्जनाएँ  हो  रही  आकाश   में, 
सृजन का आवेग है मधुमास में, 

फूल कलियों में रवानी आ चुकी,
ख़ुशी की अनुगूंज है उल्लास में, 
 
पंक से निकले खिले पंकज बने, 
प्रेरणा  का  श्रोत  है  उपहास में, 

दानवीरों   की  कहानी  है  अमर, 
नाम  उनका  दर्ज है  इतिहास में,

समय का उपयोग कर संदल हुए, 
बेवज़ह  उलझे  नहीं  बकवास में,

नियति निर्धारित करे जब लक्ष्य को, 
स्वयं  बढ़  चलते हैं  पग  उजास में,

तार  दिल से  जुड़े हों  जब  प्रेम का,
चाहता  रखना  हृदय  फिर  पास में, 

दीप  घट में  जले  'गुंजन'  ज्ञान  का, 
प्राप्त  होती  है  ख़ुशी   हर  श्वास में,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
              चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #खिले पंकज बने#
गर्जनाएँ  हो  रही  आकाश   में, 
सृजन का आवेग है मधुमास में, 

फूल कलियों में रवानी आ चुकी,
ख़ुशी की अनुगूंज है उल्लास में, 
 
पंक से निकले खिले पंकज बने, 
प्रेरणा  का  श्रोत  है  उपहास में, 

दानवीरों   की  कहानी  है  अमर, 
नाम  उनका  दर्ज है  इतिहास में,

समय का उपयोग कर संदल हुए, 
बेवज़ह  उलझे  नहीं  बकवास में,

नियति निर्धारित करे जब लक्ष्य को, 
स्वयं  बढ़  चलते हैं  पग  उजास में,

तार  दिल से  जुड़े हों  जब  प्रेम का,
चाहता  रखना  हृदय  फिर  पास में, 

दीप  घट में  जले  'गुंजन'  ज्ञान  का, 
प्राप्त  होती  है  ख़ुशी   हर  श्वास में,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
              चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #खिले पंकज बने#

#खिले पंकज बने# #शायरी