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दुखाऊँ कभी भी न दिल मैं किसी का, सिखा दे मुझे

दुखाऊँ कभी भी न दिल मैं किसी का, 
सिखा  दे  मुझे  कोई  इसका सलीक़ा,

करो  काम  जिसमें  हो  पहचान  तेरी, 
धोबी  का  कुत्ता  न  रहता  कहीं  का,

फक़त चाहने से  न मिलती है मंज़िल,
यही  फलसफा  है  सदा  ज़िन्दगी का, 

मुकद्दर से कुछ भी न मिलता किसीको, 
चलो  सीख  लें  बन्दगी  का   तरीक़ा,

मुहब्बत के चश्में से देखो न सबकुछ, 
रखे  इल्म  दुनिया  भी नेकी बदी का, 

उड़ो  खूब  नभ में  ठिकाना  बना लो,
मगर  आयेगा  एकदिन रुख़सती का, 

हृदय की मिटे प्यास जीवन सफल हो,
समुन्दर से मिलना है मकसद नदी का, 

करो कुछ भी गुंजन मगर ध्यान रखना, 
स्वयं  से  मिले  लक्ष्य  हर  आदमी का,
   ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
            चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #सिखा दे सलीक़ा#
दुखाऊँ कभी भी न दिल मैं किसी का, 
सिखा  दे  मुझे  कोई  इसका सलीक़ा,

करो  काम  जिसमें  हो  पहचान  तेरी, 
धोबी  का  कुत्ता  न  रहता  कहीं  का,

फक़त चाहने से  न मिलती है मंज़िल,
यही  फलसफा  है  सदा  ज़िन्दगी का, 

मुकद्दर से कुछ भी न मिलता किसीको, 
चलो  सीख  लें  बन्दगी  का   तरीक़ा,

मुहब्बत के चश्में से देखो न सबकुछ, 
रखे  इल्म  दुनिया  भी नेकी बदी का, 

उड़ो  खूब  नभ में  ठिकाना  बना लो,
मगर  आयेगा  एकदिन रुख़सती का, 

हृदय की मिटे प्यास जीवन सफल हो,
समुन्दर से मिलना है मकसद नदी का, 

करो कुछ भी गुंजन मगर ध्यान रखना, 
स्वयं  से  मिले  लक्ष्य  हर  आदमी का,
   ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
            चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #सिखा दे सलीक़ा#