कितनी अजीब है दुनिया हम कहाँ पर आ के ठहरे हैं, किस पे करूँ यकीन यहाँ तो हर चेहरे के पीछे चेहरे हैं। दूसरों को कहें फ़रेब यहाँ तो खुद में है लाखों ऐब, किसको कहूँ मैं अपना यहाँ तो अपनों पर भी पहरे हैं। काँटे बिछाये रखतें है, हर तरफ फ़रेब के। मोहब्बत की दूनिया का, ये नया खेल हैं।। 👉आओ अब कुछ लिख जायें।। कोलाब कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :- #collabwithकाव्यपथिक #फ़रेब #काव्यपथिक