मैं हर किसी के बारे में सोचता भी नही। जाने वालो को तो कभी रोकता भी नही। तुमको अपना समझकर पूछा हैं हालचाल, वरना ये सवाल मैं हर किसी से पूछता भी नही। तुमसे उम्मीदें तेरे अपनेपन से थी वरना, हर किसी से इस क़दर मैं रूठता भी नही। निगाहें ठहरी थी तेरे होंठों पर इत्तेफाक से, बहरहाल ध्यान से तो मैं हूरो को देखता भी नही। तुमको हमदर्द समझकर सुनाया हैं दर्द अपना, ऐरे-गैरे से तो मैं अपना राज खोलता भी नही। सादर प्रणाम। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 ©Durgesh Tiwari..9451125950 #silhouette sdt 142