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बन्द हूँ खुल जाऊं क्या? कौन हूँ भूल जाऊं क्या? सीढ़

बन्द हूँ खुल जाऊं क्या?
कौन हूँ भूल जाऊं क्या?
सीढ़ियाँ  जमीं से लगी हैं
उतर आऊं क्या?

तलाश  मैं भी रहा हूँ
अभी तो पास ही था
सुकून गुम है
ढूंढ़  लाऊं क्या ?
बन्द हूँ खुल जाऊं क्या?

मिट्टी की थाती सहेजे 
अजनबी देश चला आया हूँ
मिट्टी सरकने से पहले
लौट आऊं क्या ?
बन्द हूँ खुल जाऊं क्या?“

कांच टूटने की आवाजें 
आशियानों से आती हैं
जाकर टुकड़े 
जोड़  आऊं क्या?
बन्द हूँ खुल जाऊं क्या?

मिटा मिटा के भी 
जी उठ रही वो याद गली
गली से उसकी
गुजर जाऊं क्या ?
बन्द हूँ खुल जाऊं क्या?

ये बेतरतीब सा लिबास
मेरा खुद का नहीं 
ओढ़ कर पैरहन 
निकल आऊं क्या?

©पूर्वार्थ #बंद
#रहूं
#या
#खुल
#जाऊं 
#हिंदी_कविता 
#नोजोटोहिंदी
बन्द हूँ खुल जाऊं क्या?
कौन हूँ भूल जाऊं क्या?
सीढ़ियाँ  जमीं से लगी हैं
उतर आऊं क्या?

तलाश  मैं भी रहा हूँ
अभी तो पास ही था
सुकून गुम है
ढूंढ़  लाऊं क्या ?
बन्द हूँ खुल जाऊं क्या?

मिट्टी की थाती सहेजे 
अजनबी देश चला आया हूँ
मिट्टी सरकने से पहले
लौट आऊं क्या ?
बन्द हूँ खुल जाऊं क्या?“

कांच टूटने की आवाजें 
आशियानों से आती हैं
जाकर टुकड़े 
जोड़  आऊं क्या?
बन्द हूँ खुल जाऊं क्या?

मिटा मिटा के भी 
जी उठ रही वो याद गली
गली से उसकी
गुजर जाऊं क्या ?
बन्द हूँ खुल जाऊं क्या?

ये बेतरतीब सा लिबास
मेरा खुद का नहीं 
ओढ़ कर पैरहन 
निकल आऊं क्या?

©पूर्वार्थ #बंद
#रहूं
#या
#खुल
#जाऊं 
#हिंदी_कविता 
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