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मै दुनिया की भीड़ से निकलकर और सारे रिश्तों को तो

मै
दुनिया की भीड़ से निकलकर
और 
सारे रिश्तों को तोड़कर
जब अपने साथ बैठी
तो मुझे दुनिया क्या है
रिश्ते क्या है
दोनों ही अच्छे से समझ आने लगे
अब लगता है
कि 
मैं अपने ही साथ बैठी रहीं
और
दूर से सबको देखती रहूं

©Himshree verma
  #Problems #Problem