रचना दिनांक १२,,,१०,,,,२०२३ वार ्गुरुवार, ुसमय ््शाम छः बजे शीर्षक ्््शीर्षक ्््भावचित्र ्््् ््््् अखिल विश्व ब़म्हाण्ड में तेज़ पूंज गगन मंडल में।। नम के सौर मंडल तारो की अच्छादित गृह नक्षत्र ।। जब ध्वनि के कंपन से नव नूतन नवीन प्राकृतिक सौंदर्यता बिखेरती नजर आ अमावस्या के सूर्य गृहण के शनिवार के तदपश्यात ऐं हीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः से रविवार नवरात्र प्रारंभ अन्नपूर्णा देवी अंन्न अनामय के रूप में विराजित नव उर्जा संचार कर युवा पीढ़ी में एक जीवंत प्रयास कर सूफल सूखद पल में डुबकर सुनाई देते है जो प्राकृतिक सौंदर्यता में डूबकर अध्यात्मिक ज्ञान को आत्म प्रेम से अन्तर्मन में कामाग्नि का मंत्र शक्ति से मनो विकार दूर कर नवचेतना उमंग से भर लक्षकोटी साधना तपस्या से साधक साधना में उत्पन्न शक्ति से जातक में मानव कल्याण में जीवन फूलों से सजी हुई कश्ती को राह दिखाने वाले जगत जननी दैवीय शक्तियों को स्मरण करते हुए जीवन को साकार करने में दैवीय शक्तियों से मेरे मनोरथ सिद्ध हो प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है अन्नपूर्णा देवी भवानी गिरजा देवी को सादर नमन वन्दंनीय श्रधदानत कवि शैलेंद्र आनंद १२,,,, अक्टूबर २०२३ ©Shailendra Anand #LastNight