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महिला दिवस के उपलक्ष्य में - #सार छंद" -----------

महिला दिवस के उपलक्ष्य में - #सार छंद"
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1-
नारी ने  दोयम दर्जे का, दंश बहुत है झेला।
अब शिक्षित होकर नारी के, बढ़ने की है बेला।।
संविधान में समानता का, प्रावधान जब आया।
तभी निरंतर देश तरक्की,द्रुतगति से कर पाया।।
2-
जल-थल-नभ सेनाओं में भी, पहुँच गयी है नारी।
झाँसी रानी की सहयोगी, थी बाई झलकारी।।
शिक्षित होकर आज बेटियाँ, सब क्षेत्रों में छायीं।
एवरेस्ट से अंतरिक्ष तक, ध्वज लहराकर आयीं।।
3-
नारी ने अब चौखट लाँघी, बाहर काम सँभाला।
लेना है संकल्प सभी को, बेटी जाए शाला।।
पढ़ने दें बढ़ने दें इनको, इनमें लक्ष्मीबाई।
विषम परिस्थिति में बेटी ही, बनती चंडी माई।।
~हरिओम श्रीवास्तव~

©Hariom Shrivastava #girl
महिला दिवस के उपलक्ष्य में - #सार छंद"
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1-
नारी ने  दोयम दर्जे का, दंश बहुत है झेला।
अब शिक्षित होकर नारी के, बढ़ने की है बेला।।
संविधान में समानता का, प्रावधान जब आया।
तभी निरंतर देश तरक्की,द्रुतगति से कर पाया।।
2-
जल-थल-नभ सेनाओं में भी, पहुँच गयी है नारी।
झाँसी रानी की सहयोगी, थी बाई झलकारी।।
शिक्षित होकर आज बेटियाँ, सब क्षेत्रों में छायीं।
एवरेस्ट से अंतरिक्ष तक, ध्वज लहराकर आयीं।।
3-
नारी ने अब चौखट लाँघी, बाहर काम सँभाला।
लेना है संकल्प सभी को, बेटी जाए शाला।।
पढ़ने दें बढ़ने दें इनको, इनमें लक्ष्मीबाई।
विषम परिस्थिति में बेटी ही, बनती चंडी माई।।
~हरिओम श्रीवास्तव~

©Hariom Shrivastava #girl