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सुलभा: पुरुषा: राजन्‌ सततं प्रियवादिन:। अप्रियस्य

सुलभा: पुरुषा: राजन्‌ सततं प्रियवादिन:।
अप्रियस्य तु पथ्यस्य वक्ता श्रोता च भाग्य:।।

भावार्थ: हमेशा प्रिय और मन को अच्छा लगने वाले बोल बोलने वाले लोग आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन जो आपके हित के बारे में बोले और अप्रिय वचन बोल व आपके प्रिय वचन सुन सके, ऐसे लोग मिलना सौभाग्य है।

©Sanjeev Thakur
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