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गगन नहीं, सनम नहीं, और कोई अपना भी नहीं मगन नहीं,र

गगन नहीं, सनम नहीं, और कोई अपना भी नहीं
मगन नहीं,रमन नहीं, और मेरा मन भी नहीं
कोई आवाज आयी है कौन है
इसका भी पता नहीं
मैं कैद हू, या हूं मैं बंद, यू ही कहीं
इसका भी पता नहीं
कोई पिजरा है या हूं किसी कमरे में यूहीं
मैं पंछी हूं या कोई बतक हूं मैं
मैं कौन मेरा काम क्या
अरे कुछ भी तो पता नहीं

©erakash21
  #kaun hu mai
akak7423475967308

erakash21

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#Kaun hu mai #कविता

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