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जिसे लिखने को मेरे कलम कांप रहा वो दास्तां सोचो कि

जिसे लिखने को मेरे कलम कांप रहा
वो दास्तां सोचो कितना भयानक होगा
मेरे निवाले को मुंह से ढकेलता किस्सा
मैं भी हूं इस महामारी का हिस्सा
अगर ये कायनात का कहर है
क्या इसकी समाधान के कोई डगर है?
है ईश्वर ले जाओ मेरे खून के एक एक कतरा
हटा दो दुनियां से मंडराते ये खतरा
कोई भूख से तड़पे कोई सासों के लिए
हम क्यूं अभी तक आसानी से जिएं
नहीं यह बस तड़प है जो मौत से परे
मेरे ही नहीं सबके अंदर है भरे
मानती हूं गलत कुछ हमने है किया
सजा देकर हटा दो इस मौत के साया
देख हम दिलाते हैं तुम्हे याद ये दुनिया तुम्हारी बनाई
अब तू कर फैसला केसे करेगा हर चीज की भरपाई #yqdidi #yqbaba#महामारी#yqquotes
जिसे लिखने को मेरे कलम कांप रहा
वो दास्तां सोचो कितना भयानक होगा
मेरे निवाले को मुंह से ढकेलता किस्सा
मैं भी हूं इस महामारी का हिस्सा
अगर ये कायनात का कहर है
क्या इसकी समाधान के कोई डगर है?
है ईश्वर ले जाओ मेरे खून के एक एक कतरा
हटा दो दुनियां से मंडराते ये खतरा
कोई भूख से तड़पे कोई सासों के लिए
हम क्यूं अभी तक आसानी से जिएं
नहीं यह बस तड़प है जो मौत से परे
मेरे ही नहीं सबके अंदर है भरे
मानती हूं गलत कुछ हमने है किया
सजा देकर हटा दो इस मौत के साया
देख हम दिलाते हैं तुम्हे याद ये दुनिया तुम्हारी बनाई
अब तू कर फैसला केसे करेगा हर चीज की भरपाई #yqdidi #yqbaba#महामारी#yqquotes