वो नहीं दर्द से वाकिफ़ अभी, शायद नहीं मैं मन-माफ़िक अभी, आती नहीं जो याद, शायद होंगे नहीं मेरे ख़याल हाज़िक़ अभी। माँग-माँगकर क्या पाना, दिल से देके निभाये कोई तो बात बने, बेवजह ही हो फ़िक्र मेरी, शायद नहीं है एहसास सादिक़ अभी। जितनी कम मिलेंगी फ़ुर्सतें उतनी ही कम होंगी यह उम्मीदें भी, बेचैन नहीं हैं उनकी धड़कनें शायद हुए नहीं वो आशिक़ अभी। वो मेरे हर लम्हे का सुकून, वो ही मेरी ख़ुशियों का भी है सुतून, नसीब में है इंतज़ार शायद दिल हुआ नहीं उनके फ़ाइक़ अभी। जैसे नदी से ठंडक, पेड़ों से साँसें, बिना ख़्वाहिश ही मिले 'धुन', वैसे ही मेरे लिए उनका प्यार, शायद बना नहीं ख़ालिक़ अभी। हाज़िक़- Perfect, Skilful सादिक़- Honest फ़ाइक़- Able सुतून- Pillar ख़ालिक़- God, Creator #restzone #rztask293 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #rzhindi #feelings