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White सुकून बहुत है कसम से तुम्हें खोकर भी तुम्हे

White सुकून बहुत है कसम से 
तुम्हें खोकर भी तुम्हें पाने का..!
बिना मर्जी के तुम्हारी तुम्हें अपना बनाने का..!

फिर अच्छा भी है
किल्लतें खत्म हो गईं सारी..!
तुम साथ होते तो
मुसीबतें क्या कम थीं हमारी..!
मौका भी रोकड़ बचाने का..!
सुकून बहुत है कसम से तुम्हें खोकर भी तुम्हें पाने का..!

तुम होते तो
तुम्हारी ही चलती..!
तुम्हारे होते
दाल हमारी न गलती..!
झंझट था झुकने झुकाने का..
सुकून बहुत है कसम से तुम्हें खोकर भी तुम्हें पाने का..!

तब तो तुम उस पार
  हम इस पार ही भले हैं..!
फिर मुकद्दर के आगे
  जोर किसके चले हैं..!
विधानों के बंधन निभाने का..
सुकून बहुत है कसम से तुम्हें खोकर भी तुम्हें पाने का..!

सो अब तुम्हारा
 हम पे हक़ क्या रहा है..!
हमने तो सब कुछ 
 अकेले ही सहा है..!
अपनी अपनी राहें जाने का
सुकून बहुत है कसम से तुम्हें खोकर भी तुम्हें पाने का..!

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #तुम बिन
White सुकून बहुत है कसम से 
तुम्हें खोकर भी तुम्हें पाने का..!
बिना मर्जी के तुम्हारी तुम्हें अपना बनाने का..!

फिर अच्छा भी है
किल्लतें खत्म हो गईं सारी..!
तुम साथ होते तो
मुसीबतें क्या कम थीं हमारी..!
मौका भी रोकड़ बचाने का..!
सुकून बहुत है कसम से तुम्हें खोकर भी तुम्हें पाने का..!

तुम होते तो
तुम्हारी ही चलती..!
तुम्हारे होते
दाल हमारी न गलती..!
झंझट था झुकने झुकाने का..
सुकून बहुत है कसम से तुम्हें खोकर भी तुम्हें पाने का..!

तब तो तुम उस पार
  हम इस पार ही भले हैं..!
फिर मुकद्दर के आगे
  जोर किसके चले हैं..!
विधानों के बंधन निभाने का..
सुकून बहुत है कसम से तुम्हें खोकर भी तुम्हें पाने का..!

सो अब तुम्हारा
 हम पे हक़ क्या रहा है..!
हमने तो सब कुछ 
 अकेले ही सहा है..!
अपनी अपनी राहें जाने का
सुकून बहुत है कसम से तुम्हें खोकर भी तुम्हें पाने का..!

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #तुम बिन