वक़्त ख़राब हो तब अपने भी साथ छोड़ देते हैं, देख हैसियत फिर ये बातों का रुख़ मोड़ देते हैं। बिना सोचे-समझे बे-वजह लगाते हैं ये इल्ज़ाम, देखते नहीं ख़ुद के काम और रिश्ते तोड़ देते हैं। मतलब से निभाते, देखते नहीं मन की अच्छाई, सच को तोड़-मरोड़ कितने झूठ ये जोड़ देते हैं। क़ैद कर अपने पिंजरे में देते आज़ादी का नाम, अपनी ग़लतियों का उनपे ठीकरा फोड़ देते हैं। होड़ किसी से क्यों करें जब रफ़्तार धीमी 'धुन', वक़्त देख के वही लोग सही बातें मरोड़ देते हैं।— % & Rest Zone 'तस्वीर विश्लेषण' #restzone #rztask263 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #yqdidi #rzhindi #feelings