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तुम्हे शिखर बनना हैं क्यूँ पड़े हो यूँ निढाल तुम्ह

तुम्हे शिखर बनना हैं
क्यूँ पड़े हो यूँ निढाल
तुम्हें अम्बर चड़ना है
मन क्यूँ भटकाते हो
 माना पथ पथरीले है
किंतु पग क्यूँ भरमाते हो
स्वपन स्थिर पड़े हैं
किंतु पग क्यूँ रोकते हो
स्वपन तुम्हारे प्रतिक्षा में हैं
राह क्यूँ मोड़ते हो
अंत जल्द हि निकट है
हताश क्यूँ होते हो
अंतिम परिणाम क्या है
इतना क्यूँ विचारते हो 
परिश्रम का अंत सुखद हि होता है
बस राह पग में बांध चलते जा

©Kavitri mantasha sultanpuri #तुम्हें_शिखर_बनना_है (part - 1) 
#motivation
#motivationalpoem 
#KavitriMantashaSultanpuri
तुम्हे शिखर बनना हैं
क्यूँ पड़े हो यूँ निढाल
तुम्हें अम्बर चड़ना है
मन क्यूँ भटकाते हो
 माना पथ पथरीले है
किंतु पग क्यूँ भरमाते हो
स्वपन स्थिर पड़े हैं
किंतु पग क्यूँ रोकते हो
स्वपन तुम्हारे प्रतिक्षा में हैं
राह क्यूँ मोड़ते हो
अंत जल्द हि निकट है
हताश क्यूँ होते हो
अंतिम परिणाम क्या है
इतना क्यूँ विचारते हो 
परिश्रम का अंत सुखद हि होता है
बस राह पग में बांध चलते जा

©Kavitri mantasha sultanpuri #तुम्हें_शिखर_बनना_है (part - 1) 
#motivation
#motivationalpoem 
#KavitriMantashaSultanpuri