शायद वो समझौतावादी है या शायद डरपोक या फिर बेईमान या धोखेबाज या फिर कुछ और बद से बदतर जो भी हो सके. तभी तो आज यहाँ है यहाँ कहाँ जहाँ उसे नहीं होना था जहाँ जहाँ उसे होना था वहाँ वहाँ होना खुद खोया है कहाँ कहाँ भटका तभी तो आज लटका यहाँ वहाँ मटका तभी तो आज फटता अब भूलना चाहता मूर्ख बदलना फिर भी नहीं चाहता बस भूलना भूलना भूलना चाहता ना सीखना ना बढ़ना ना पढ़ना चाहता ©पूर्वार्थ #शायद