मनोज की कलम से: वो तेरी तड़प ये मेरी तड़प ख़ामख़ा में हो जाती झड़प ... वो तेरी समझ ये मेरी समझ बेकार में न मुझसे उलझ ... वो तेरी अदा ये मेरी अदा अब ताव न मुझपे तू दिखा ... वो तेरी कसक ये मेरी कसक गल मेरी सुन जल्दी से खिसक ... वो तेरी दवा ये मेरी दवा बीमारी क्या हमकों न पता ... वो तेरा धरम ये मेरा धरम न तुझे हया न मुझें शरम ... वो तेरा प्रचार ये मेरा प्रचार सच्चाई का अब डालो आचार .... वो तेरा सितम ये मेरा सितम कोरोनिल लो और बात ख़तम .... #कोरोनिल #कोरोनिल