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manojswaraji7305
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Manoj Swaraji

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Manoj Swaraji

मनोज की कलम से:
धूप से बोला अंधेरा
तू है यह प्रमाण ला
धूप फिर ये हँस के बोली
ज्यादा न तू फड़फड़ा
....
तू जहां है मैं भला
आऊं ये कैसे तू बता
आ गई तो वज़ूद तेरा
पल में ख़ाक हो गया
...
कौन लेगा फिर प्रमाण
जब वहां कुछ न बचा
इसलियें चुपचाप रहकर
ले अंधेरे तू मज़ा धूप

#Forest

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Manoj Swaraji

मनोज की कलम से:
राम कृष्ण की करो वंदना
नानक का गुड़गान करो
महावीर को शीश नभाओ
आत्म चेतना शुद्ध करो
....
बुल्ले शाह से सीख फकीरी
संत कबीर ह्रदय में धरो
धीरे धीरे होले होले
आत्म चेतना बुद्ध करो
...... राम कृष्ण

#worldphotographyday

राम कृष्ण #worldphotographyday #शायरी

8 Love

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Manoj Swaraji

मनोज की कलम से: (गीत)
.....
इश्क़ की आरज़ू, हुश्न हो रूबरू
दूर रहने की ज़हमत, गवारा नहीं
आपकी महक से, रात गुलशन रहे
हो सवेरा ये हमकों, गवारा नहीं
......
इश्क़ की आरज़ू
हुश्न हो रूबरू...
.....
तेरे अंदाज़ का कुछ नशा यू हुआ
बिन पिये हम नशे में बहकने लगे
सांस थमने लगी नब्ज़ बढ़ने लगी
ये कदम बिन वजह के थिरकने लगे
....
हाथ मे हाथ हो, तुम मेरे पास हो
ज़ोर जज़बातों पर अब, हमारा नहीं
......
इश्क़ की आरज़ू
हुश्न हो रूबरू...
....

घट रहा है ये क्या हमको कुछ न खबर
आग के ताप से दिल दहकने लगे
राख का ढ़ेर फिर से सुलगने लगा
बर्फ से सर्द लम्हें पिघलने लगे
...
न कहे कुछ अभी, न सुने कुछ अभी
कहने सुनने में इंट्रस्ट हमारा नही
....
इश्क़ की आरज़ू
हुश्न हो रूबरू...

.....💐 आरज़ू

#CalmingNature

8 Love

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Manoj Swaraji

#KargilVijayDiwas मनोज की कलम से:
तेरे चुल्लू में, समंदर समेट सकता हूँ
तेरे जुम्बिश में, भूकंप लपेट सकता हूँ
.....
बाल की खाल की तफ़शील से करके गढ़ना
में जो चाहूं तो नए शास्त्र फिर गढ़ सकता हूँ #kargilvijaydiwas
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Manoj Swaraji

मनोज की कलम से:
समंदर की कहानी क्या
नदी के दौर का मौसम
अमीरी को सलामी क्या
अभी है आम का मौसम
...
पकड़ के हाथ बिठलालें
कहाँ क़िस्मत अभी मेरी
अभी है दौड़ की कोशिश
अभी है इश्क़ का मौसम
...
आम=आम आदमी
... #इश्क़

#EscapeEvening
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Manoj Swaraji

मनोज की कलम से
इश्क़ की ख़ामोशियां समझेगा कैसे
हुश्न....... बातूनी है
इश्क़ की बारीकियां समझेगा कैसे
हुश्न...... ☺कानूनी है
.....
फ़िकर की आग में जलते ज़िगर को
बात तफ़सील से समझानी है
इश्क़ की ख़ामोशियां समझेगा कैसे
हुश्न........😊 बातूनी है
....
निरे जज्बात का आचार डालो
नहीं पाकिेट में दाना पानी है
इश्क़ की ख़ामोशियां समझेगा कैसे
हुश्न......😊 बातूनी है
....
नया ये दौर है चलना संभलकर
कहीं रह जाओ न केवल उलझकर
सलाह ये तुमको खानदानी है
इश्क़ की ख़ामोशियां समझेगा कैसे
हुश्न...... 😊बातूनी है
... #हुश्न

#BoneFire
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Manoj Swaraji

मनोज की कलम से:
लड़ी जो आंख,हुआ एहसास
इश्क़ की पहली कड़ी थी
सुर्ख जोड़े में लिपटी सी
सामने साइंस खड़ी थी
...
दिल था दिलफेंक, बेईमान
इसे एक और जंची थी
अदाएं देख मस्तानी
मैथ से बात बड़ी थी
....
नया था दौर, विकट घनघोर
न जाने कैसी माया थी
गया आगोश में जिसके
वो प्रोग्रामिंग ख़ुदाया थी
...
मिली वो राह में, एकदम
हुआ झटके में जिससे प्यार
उसे बदनाम न करना
वो थी कॉमर्स मेरे यार
.....
जरा सी उम्र बड़ी तो
कदम मेरे बहक गए
देख के जलवे पॉलिटिक्स के
नए कुछ किस्से गढ़ गये
....
कभी भूगोल से लफड़ा
कभी इतिहास से चक्कर
बड़ी मुश्किल में हूँ यारों
आर्ट्स से हो गई टक्कर
....
देख के हालत मेरी को
अबतो कहने लगे है लोग
नई कोई फिर फांसेगा
इश्क का है इसे बस रोग
..... #इश्क़ 
#InspireThroughWriting
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Manoj Swaraji

मनोज की कलम से:
खून का बदला खून
भाड़ में जाय कानून #एनकाउंटर
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Manoj Swaraji

मनोज की कलम से: (

अंधेरा था, रुकावट थी
न भिड़ने की, इजाज़त थी
.....
खड़े तंबू, लगा बंबू
वो चीनी की, शरारत थी
..
इधर पर्वत, उधर नदियाँ
ठंड भी तो , कयामत थी
...
न गोली थी, न राइफ़ल थी
फ़क़त इतनी, शिकायत थी
...
इधर दो सौ, उधर नौ सौ
फौजियों की, जमावट थी
.…
इधर बैनर, उधर डंडे
उठाने की, रवायत थी
.................
मगर फिर भी, डगर पर ही
निडर होकर, अड़ा फौज़ी
...
दिखा आंखे, बना मुक्का
था दुश्मन से, भिड़ा फौज़ी
....
सिर्फ हाथों, और लातों
के दम पर ही, जमा फौज़ी
...
छीन ठंडे, उठा पत्थर
लगा नारे, लड़ा फौज़ी
.........
कभी गर्दन, दबोची थी
कभी मारा, पटक कर था
...
एक पे चार, फिरभी भारी
ये शक्ति का, प्रदर्शन था
....
हमारे बीस, उनके चालीस
शौर्य का अदभुद, दर्शन था
....
थी दुश्मन की, बनी घिग्गी
अहम उनके का,मर्दन था
...
जान देकर,बची सीमा
ये सैनिक का, समर्पण था
..... #फौज़ी
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Manoj Swaraji

मनोज की कलम से:
उखड़ ही जाते
हत्ते से जज्बात
चटक ही जाते
झटके से हालात
...
ईश्क की पहिया
फिसले जो ढ़र्रे से
हुश्न से बोलो
कातिल है आघात
.. #इश्क
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