बड़े ढीठ हो लालाजी, बात में गड़बड़ झालाजी, ज्ञान की चाभी से खोलो, अज्ञानता का ताला जी, मदिरालय सोपान लिखा, गीत बना मधुशाला जी, मिथ्या है माया जग का, भजुमन राम कृपाला जी, सागर मंथन से निकला, पिये स्वयं शिव हाला जी, सृजन हुआ सृष्टि ब्रह्मा से, विष्णु जगत को पाला जी, हुए रंग बदरंग सभी पर, अन्त में बचता काला जी, है करतार एक ही 'गुंजन', दुनिया का रखवाला जी, *शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'* *चेन्नई तमिलनाडु* ©Shashi Bhushan Mishra #दुनिया का रखवाला#