रात अमावस की तम लाती है। कुछ सब्र धरो तो रात भी पूनम की आती है। हौले हौले चलना सीखों, धीरे धीरे मुस्काना। नील गगन में पंछी उड़ते , सीखों फसलों से लहलहाना। पाषाण से ताकत लेकर सीखों, पथ पर आगे बढ़ना । बूंदों से सीखों नदियों में मिल जाना नदियों से सीखों उसकी अविरलता और सागर में मिल जाना। पर्वत से सीखों ऊंचाई और सागर से गहराई । नभ से सीखों विस्तार अनंत में ढ़ल जाना। पवन से सीखो मद्धम मद्धम बहना। हौले हौले चलना सीखो , धीरे-धीरे मुस्काना। ©किशोर ©किशोर #weather #poem