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kishorjha3995
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Kishor Jha

मैं किशोर हूं, सब तरफ मचा है हल्ला गुल्ला मैं बिन हल्ले का शोर हूं। मैं किशोर हूं ।

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Kishor Jha

रीढ़ की हड्डी सिर्फ़ पीठ में ही नहीं आत्मा में भी होती है। 
ऐसा मेडिकल साइंस नहीं हमारी संवेगात्मक शक्ति कहती है। 
रीढ़विहीन आत्मा मेडिकल साइंस की थ्योरी  में तो है, मेरे जेहन में नहीं।

©Kishor Jha #mentalhealthday
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Kishor Jha

फलक पर रौशनी होगी,
जरा आना तुम...
सितारे तुमको पुकारा करते हैं..
जरा आना तुम...
आना तो.....
दामन बचा के चलना जरा 
इस कूचे में भी कालिख है...
फकत इतना तसव्वुर करना 
मेरे जेहन में भी आना तुम....

©Kishor Jha #lunar
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Kishor Jha

पिता!
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रिश्तों को बांधे रखने का हुनर हैं पिता!
कभी अनकहा तो कभी अनबूझा सा इक तेवर है पिता! 

पिता के होने से घर, घर सा लगता हैं
मां का बिछिया, पायल सारा जेवर हैं पिता! 

 रिश्तें तो यूं कई हैं 
पर घर के कलेवर हैं पिता!
बच्चों के मन का थोड़ा हिम्मत और थोड़ा ड़र हैं पिता!

©Kishor Jha #पिता 

#Flower
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Kishor Jha

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Kishor Jha

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Kishor Jha

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Kishor Jha

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Kishor Jha

चलता जाता हूं जहाँ तक रास्ता होगा , 
     मुकर्रर है इक मुलाकात तुमसे, 
     वहीं तुमसे बावस्ता होगा!

    मुद्दतों जिसका जिक्र अफसाने में करते रहे हम ।
     ये इल्म नहीं था कि वह हमारा होगा !

     मेरी आरजू है की पनाह मिले , तो तलाश खत्म हो। 
     वरना बैशाखियों से कहां सहारा होगा !

     इक बार अंजुमन में बैठो तो गुफ्तगू हो।
     आंखों ही आंखों में कब तक इशारा होगा!

   ©किशोर
      05-09-2020 #
#SilentWaves
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Kishor Jha

परेशानियों को अपनी अनइन्सटॉल करके 
मुसीबतों को सारी डिएक्टिवेट कर लिया कीजिए।
ऐ सनम ! रोज रात में मेरा थोड़ा वेट कर लिया कीजिए ।
 ©किशोर #डिजिटलइश्क़ 

#dawn
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Kishor Jha

हमें मृत्यु से भय है या भय से हमारी मृत्यु है?
ये प्रश्न अनीर्णीत है !
जन्म लेने के साथ ही जब ये तय है की मृत्यु निश्चित है। 
तब आखिर कौन सी बला है जो मृत्यु से भय उत्पन्न करती है ?
मृत्यु सत्य और शाश्वत है। 
मृत्यु अपने विविध रूपों में कभी विभत्स व जुगुप्सा  तो कभी सरलता, सहजता और तीव्रता उत्पन्न करती है।  
ओशो ने लिखा मैं मृत्यु सिखाता हूं।
कितना रूमानी है न मृत्यु सीखना !
सीखना एक प्रक्रिया है ।
काश!की हम सब अपनी जिंदगी में मौत सीख सकते ।
©किशोर #मृत्यु 

#SilentWaves
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