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#OpenPoetry सरहद का आख़री ख़त ऐ मौत अभी से तू कहा च

#OpenPoetry सरहद का आख़री ख़त

ऐ मौत अभी से तू कहा चली आयी 
अभी तो बहुतों के ख़त का जवाब देना बाकी है
इस दिल के पैगाम अभी अधूरे बाकी है...

मेरी माँ जो बैठी है मेरे गाँव मे अभी 
उसकी गोंद में सर रख के सोना बाकी हैं
ऐ मौत अभी से तू कहाँ चली आयी
अभी तो उसकी अधूरी लोरी बाकी है...

मेरे पिताजी जो इंतेज़ार में है..मेरे 
अभी उनको भी सीने से लगाना बाकी है
ऐ मौत अभी से तू क्यों चली आयी 
अभी उनको सुनानी मेरी जंग की अधूरी कहानी बाकी है...

हैं गाँव में एक पगली लड़की जो मेरी इंतेज़ार में खड़ी है...
अभी उसके माथे में मेरे हाथ का सिंदूर लगना बाकी है
उससे कुछ प्यार भरी बातें अधूरी बाकी है
ऐ मौत अभी से तू क्यों चली आयी है
अभी तो हमारा मिलना बाकी है...

कुछ दोस्त रहते हैं, अभी मेरे गाँव में
जिनसे बचपन की यादों के साथ गुफ़्तुगू करना बाकी है...
अभी मेरे गाँव के खेत खलियानों में मेरा घूमना बाकी है...
ऐ मौत अभी से तू क्यों चली आयी है
अभी मेरे दोस्तों के साथ मस्ती करना बाकी है......

सुन तो ऐ मौत...अभी तो मेरे देश की माटी का अधूरा कर्ज बाकी है...
अभी तो मेरे देश का तिरंगा हर जगह लहराना बाकी है...
ऐ मौत अभी से तू क्यों चली आयी 
अभी तो मेरे दुश्मन के नाम की अधूरी गोली बाकी है...

घर में है मेरा एक छोटा भाई
कैसे संभालेगा मेरी माँ को
देख मेंरे इस आख़िरी ख़त को,
अभी तो मेरे का भाई का बड़ा होना बाकी हैं।
ऐ मौत तू अभी कहाँ चली आयी
अभी इस दिल के पैगाम अधूरे बाकी है।

                 स्वरूप सिंह✍️ #OpenPoetry सरहद का आख़री ख़त
#OpenPoetry सरहद का आख़री ख़त

ऐ मौत अभी से तू कहा चली आयी 
अभी तो बहुतों के ख़त का जवाब देना बाकी है
इस दिल के पैगाम अभी अधूरे बाकी है...

मेरी माँ जो बैठी है मेरे गाँव मे अभी 
उसकी गोंद में सर रख के सोना बाकी हैं
ऐ मौत अभी से तू कहाँ चली आयी
अभी तो उसकी अधूरी लोरी बाकी है...

मेरे पिताजी जो इंतेज़ार में है..मेरे 
अभी उनको भी सीने से लगाना बाकी है
ऐ मौत अभी से तू क्यों चली आयी 
अभी उनको सुनानी मेरी जंग की अधूरी कहानी बाकी है...

हैं गाँव में एक पगली लड़की जो मेरी इंतेज़ार में खड़ी है...
अभी उसके माथे में मेरे हाथ का सिंदूर लगना बाकी है
उससे कुछ प्यार भरी बातें अधूरी बाकी है
ऐ मौत अभी से तू क्यों चली आयी है
अभी तो हमारा मिलना बाकी है...

कुछ दोस्त रहते हैं, अभी मेरे गाँव में
जिनसे बचपन की यादों के साथ गुफ़्तुगू करना बाकी है...
अभी मेरे गाँव के खेत खलियानों में मेरा घूमना बाकी है...
ऐ मौत अभी से तू क्यों चली आयी है
अभी मेरे दोस्तों के साथ मस्ती करना बाकी है......

सुन तो ऐ मौत...अभी तो मेरे देश की माटी का अधूरा कर्ज बाकी है...
अभी तो मेरे देश का तिरंगा हर जगह लहराना बाकी है...
ऐ मौत अभी से तू क्यों चली आयी 
अभी तो मेरे दुश्मन के नाम की अधूरी गोली बाकी है...

घर में है मेरा एक छोटा भाई
कैसे संभालेगा मेरी माँ को
देख मेंरे इस आख़िरी ख़त को,
अभी तो मेरे का भाई का बड़ा होना बाकी हैं।
ऐ मौत तू अभी कहाँ चली आयी
अभी इस दिल के पैगाम अधूरे बाकी है।

                 स्वरूप सिंह✍️ #OpenPoetry सरहद का आख़री ख़त

#OpenPoetry सरहद का आख़री ख़त #poem