मेरे पैरों मे जकड़ी हैं जंजीरें कुछ नियम, मान-सम्मान की| पर! तेरी ओर बढ़ते रहते हैं ये कदम, तेरी ही फिक्र में,,, और तू सब जानकर भी अनजान हैं दुनिया के रीति-रिवाजों से | तेरे-मेरे प्रेम की सार्थकता को वयक्त करना भी तो अनिवार्य हैं | बस! मेरी जिंदगी का सारथी बनकर मुझसे ही तो जुड़ना हैं | फिर क्यों किसी भ्रम मे तू अभी भी, जो तू सब जानकर भी बेखर हैं | तुझसे चाही भी तो बस तेरी ही खुशी हैं, जो तुझसे जुड.कर तुम पर ही समाप्त होती हैं | मेरा छोटा-सा प्यार बनकर मेरी छोटी-सी जिंदगी को सँवारना अब बस तेरे ही हाथों में हैं | गीता शर्मा प्रणय #जंजीरें