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कोई ख़्याल ज़ेहन में न आये तो क्या करूँ ! न रोये च

कोई ख़्याल ज़ेहन में न आये तो क्या करूँ !
न रोये चश्म न लब मुस्कराये तो क्या करूँ !

लाख सजूँ-सँवरू औ बना लूँ आईनें दीवार,
तेरा अक्स निगाहों से न जाये तो क्या करूँ !

तोड़ लाऊँ सितारे और जला दूँ दिये हजार,
बज़्म फिर भी न झिलमिलाये तो क्या करूँ !

मेरी ख़्वाहिशों का मुक़द्दर हो जब टूटा पड़ा,
हक़ीक़त उसपे  सितम ढ़हाये तो क्या करूँ !

रात हो अँधेरी परस्तिश' और तन्हाई भी हो,
ऐसे हाल में गर वो ‌याद आये तो क्या करूँ !

©Parastish
  चश्म - आँखें
बज़्म- महफ़िल

#parastish
pooja7092330500628

Parastish

Silver Star
Super Creator

चश्म - आँखें बज़्म- महफ़िल #parastish #शायरी

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