इस दुनियां के दलदल में,अगर पैर रखोगे। यकीनन अपने आप से भी, वैर रखोगे। चल रहीं चहुंओर,ज़ख्म खरोचने वाली हवा आख़िर किस किस को तुम गैर कहोगे माना हुए तुम पत्थर सा, तुम्हें किसी से गिला नहीं इस बंजर भूमि पर अब, फसल चक्र का सिलसिला नहीं छोड़ो मतलबी बारिश का हाथ, जीवाश्म गलाओ तुम इस बंजर भूमि से, कोई ईंधन निकालो तुम वैर तुमसे कोई रख ही ना पाए अपनी कीमत ऐसा बढ़ाओ तुम ©Rj_Rajesh_बली #DesertWalk