सूखे पत्ते स्याही दवात और, दूर से नज़रें चुराती तुम, नज़ारों में घुलती तन्हाइयाँ, तेरे अक्स का ही दीदार हो जाए, शिकन है कुछ माथे पर, कि तुम मिलती नहीं हो अब, साफ सुथरे लिबास में, ढूँढ तो रहा हूँ मैं हर कोने में, पर लगता है किस्मत झूठी है, या बदलते ज़माने के साथ, भीड़ में तुम कहीं छिप गयी हो, और अब यूँ हो गया है कि, सामने आने से कतरा रही हो... ©Rangmanch Bharat #Shayari #sheroshayari #rangmanchbharat #hindi_shayari #nojotoshayari #nojotokavita #merihindirachna #MeriKavita #Sukha