मैं हूँ! तुम नहीं हो! ज़िंदगी कुछ अधूरी-सी है। तुम चले आओ न, फिर से! इक मुलाकात ज़रूरी-सी है। ◆आशीष●द्विवेदी◆ #मन्ज़िल ©Bazirao Ashish मैं हूँ! तुम नहीं हो! ज़िंदगी कुछ अधूरी-सी है। तुम चले आओ न, फिर से! इक मुलाकात ज़रूरी-सी है। ◆आशीष●द्विवेदी◆ #मन्ज़िल