अपने चांद को इतने करीब से देखा पिछली दफा जब उसने इस गति से लपका की जान गई उसकी अब वो चंदा "मामा" बुलाए जा रहे अब शायद वाम नहीं होंगे वो घुमाएंगे अपने सुदूर दक्षिणी अक्ष सुनाएंगे किस्से अपने कंपन के सारे की कैसे गर्म धाराएं बहती थी और खून तरल नहीं प्लाज्मा होता था कसा वो शाम और क्या समा होता था की ठीक ठीक देखो कितनी दूरी आ गई है अब - गीतेय... ©rritesh209 #chandrayaan3 #Chandrayaan_2 #Chandrayaan